मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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नशा मुंशी प्रेम चंद 3 ईश्‍वरी का घर क्‍या था, किला था। इमामबाड़े का—सा फाटक, द्वार पर पहरेदार टहलता हुआ, नौकरों का कोई सिसाब नहीं, एक हाथी बॅंधा हुआ। ईश्‍वरी ने ...

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